Ban on Reels: शिक्षा विभाग द्वारा हाल ही में जारी किए गए निर्देशों में शिक्षण संस्थानों में सोशल मीडिया का अनावश्यक उपयोग रोकने की पहल की गई है. स्कूल और कॉलेजों में छात्रों और शिक्षकों द्वारा रील और वीडियो बनाने की गतिविधियां लगातार बढ़ रही थीं जिससे छात्रों का ध्यान शैक्षणिक लक्ष्यों से हट रहा था. यह कदम इस बढ़ती समस्या को नियंत्रित करने के लिए उठाया गया है.
शिक्षकों की जिम्मेदारी पर सवाल
शिकायतों के अनुसार, कुछ शिक्षक अपने शिक्षण समय का उपयोग वीडियो और रील बनाने में कर रहे थे. इससे न केवल छात्रों की पढ़ाई पर असर पड़ रहा था, बल्कि उनकी प्रारंभिक उम्र में सोशल मीडिया के अनावश्यक प्रभाव (negative impact of social media on education) का खतरा भी बढ़ रहा था. शिक्षकों को उनके मुख्य कार्य—छात्रों को पढ़ाई और जीवन कौशल सिखाने में योगदान देने—से भटकते हुए देखा गया.
छात्रों के विकास में बाधा
रील और वीडियो बनाने की आदत न केवल समय की बर्बादी है बल्कि यह छात्रों के समग्र विकास में भी समस्या उत्पन्न कर रही है. इसके कारण छात्र अपने शैक्षिक लक्ष्यों से भटक रहे हैं और खेल, रचनात्मकता व व्यक्तिगत विकास (holistic development of students) जैसी गतिविधियों से दूर हो रहे हैं. यह समस्या छात्रों के मानसिक और भावनात्मक विकास को प्रभावित कर रही है.
निर्देशों का असर
उच्च शिक्षा निदेशक ने स्पष्ट रूप से कहा है कि स्कूल और कॉलेज के परिसर में ऐसी गतिविधियां (ban on social media use in education) बिल्कुल भी स्वीकार्य नहीं हैं. सभी संस्थानों को यह सुनिश्चित करने को कहा गया है कि परिसर में सोशल मीडिया के उपयोग को सीमित किया जाए और शिक्षकों व छात्रों दोनों को शिक्षा की ओर प्रेरित किया जाए.
विद्यालयों में निगरानी बढ़ाई जाएगी
विद्यालय प्रमुखों को निर्देश दिए गए हैं कि वे परिसर में ऐसी गतिविधियों पर विशेष निगरानी रखें. शिक्षण संस्थानों को छात्रों और शिक्षकों के लिए एक ऐसा वातावरण (monitoring in schools and colleges) बनाने का निर्देश दिया गया है, जो शिक्षा और राष्ट्र निर्माण के लिए प्रेरणादायक हो.
छात्रों के लिए शैक्षणिक लक्ष्य तय करना
शिक्षा विभाग का मानना है कि छात्रों को शुरुआती उम्र से ही स्पष्ट शैक्षणिक लक्ष्य (academic goals for students) निर्धारित करना चाहिए. सोशल मीडिया का अनावश्यक उपयोग छात्रों को इन लक्ष्यों से भटका सकता है. छात्रों को शिक्षण, खेल, और रचनात्मक गतिविधियों में अधिक भागीदारी के लिए प्रेरित किया जाएगा.
शिक्षकों की भूमिका पर विशेष ध्यान
शिक्षकों को केवल शिक्षण ही नहीं, बल्कि छात्रों के व्यक्तित्व और जीवन कौशल के निर्माण में भी भूमिका निभानी चाहिए. इस दिशा में सोशल मीडिया से दूरी (role of teachers in student development) और अपनी जिम्मेदारियों पर ध्यान केंद्रित करना आवश्यक है.
राष्ट्र निर्माण में शिक्षा की भूमिका
शिक्षा न केवल व्यक्तिगत विकास बल्कि राष्ट्र निर्माण (education for nation-building) का भी एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. सोशल मीडिया के अनावश्यक उपयोग से बचकर, छात्रों और शिक्षकों दोनों को एक समृद्ध और शिक्षाप्रद वातावरण में योगदान देना होगा.
शिक्षा में डिजिटल उपयोग की सीमा तय करना
सोशल मीडिया का शिक्षण में उपयोग पूरी तरह से गलत नहीं है, लेकिन इसका सही दिशा में उपयोग (controlled use of digital platforms in education) ही लाभकारी हो सकता है. इस संदर्भ में शिक्षण संस्थानों को यह सुनिश्चित करना होगा कि डिजिटल साधनों का उपयोग केवल शिक्षा के लिए किया जाए.
छात्रों और शिक्षकों के लिए नई उम्मीदें
इस पहल से न केवल छात्रों की पढ़ाई में सुधार होगा, बल्कि शिक्षकों के प्रदर्शन (positive impact of guidelines in education) में भी सकारात्मक बदलाव आएंगे. यह कदम शिक्षण संस्थानों के लिए एक नई दिशा तय करेगा, जहां शिक्षा को प्राथमिकता दी जाएगी.