जंगली जानवरों से हुए नुकसान का मिलेगा मुआवजा, प्रति एकड़ मिलेंगे इतने हजार रूपए Fasal Muavja

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Fasal Muavja: हरियाणा सरकार ने एक अहम फैसला लिया है जिसके तहत जंगली जानवरों द्वारा किसानों की फसलों, आवासों, मवेशियों और यहां तक कि इंसानों को होने वाले नुकसान के लिए मुआवजा राशि तय की गई है. इस कदम से उन किसानों और नागरिकों को राहत मिलेगी जो जंगली जानवरों के हमलों का शिकार हो रहे थे. सरकार ने अब इस मामले में गंभीरता दिखाते हुए मुआवजा राशि निर्धारित की है जिसे किसानों, मवेशी पालकों और घरों के मालिकों को मिलेगा.

किसानों को मिलने वाली मुआवजा राशि का विवरण

हरियाणा सरकार ने मुआवजा राशि के लिए एक योजना बनाई है. यदि जंगली जानवरों द्वारा किसानों की फसलों को 33 प्रतिशत से अधिक नुकसान होता है, तो सरकार कृषि-बागबानी फसलों के लिए 6800 रुपये प्रति हेक्टेयर, सिंचाई पर आधारित फसलों के लिए 13500 रुपये प्रति हेक्टेयर, और बारहमासी फसलों के नुकसान पर 18,000 रुपये प्रति एकड़ मुआवजा देने का निर्णय लिया है. इसके अलावा, रेशम के कीड़ों के पालन में 4800 रुपये प्रति एकड़ और मूगा के लिए 6000 रुपये प्रति एकड़ मुआवजा मिलेगा.

आवासों के नुकसान की भरपाई

जंगली जानवरों द्वारा किसी आवास को पूर्ण रूप से क्षतिग्रस्त किए जाने पर सरकार ने पक्का और कच्चा घर दोनों के लिए मुआवजा राशि तय की है. मैदानी क्षेत्रों में पक्के घरों के लिए 95,100 रुपये, पहाड़ी क्षेत्रों में 1,01,900 रुपये और आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त घरों के लिए 5200 रुपये से 4100 रुपये तक की राशि निर्धारित की गई है. इसके अलावा, मवेशी पालन वाले छप्परों के लिए 2100 रुपये मुआवजा दिया जाएगा.

मवेशियों के नुकसान पर मुआवजा

यदि जंगली जानवरों ने किसी किसान के मवेशी को नुकसान पहुंचाया तो इसके लिए भी मुआवजा राशि तय की गई है. तेंदुआ, लकड़बग्धा या भेड़ियों द्वारा गाय, भैंस, बकरा, ऊंट या घोड़ा मारने पर विभिन्न मुआवजे दिए जाएंगे. उदाहरण के लिए, गाय को मारने पर 12000 रुपये, भैंस पर 30000 रुपये, बकरा पर 3500 रुपये, ऊंट पर 20000 रुपये और घोड़े पर 30000 रुपये का मुआवजा दिया जाएगा.

किसान विजय बंसल द्वारा की गई कानूनी पहल

हरियाणा किसान कांग्रेस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष विजय बंसल द्वारा इस मामले में उठाए गए कदमों को सराहा जा रहा है. उन्होंने पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर सरकार से जंगली जानवरों द्वारा फसलों और मवेशियों को नुकसान की भरपाई के लिए मुआवजा तय करने की मांग की थी. उनके प्रयासों से सरकार ने इस मुद्दे पर ध्यान दिया और मुआवजा राशि की घोषणा की. विजय बंसल के संघर्ष का ही परिणाम है कि अब किसानों को राहत मिलेगी और उनकी समस्या का समाधान होगा.

जनहित याचिका में नुकसान की समस्या पर प्रकाश डालते हुए

विजय बंसल ने अपनी जनहित याचिका में यह बताया था कि हरियाणा के कई गांवों में वन क्षेत्र के पास जंगली जानवरों का जमावड़ा रहता है, जिसके कारण किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है. जंगली सुअर, नील गाय और अन्य जानवरों द्वारा फसल को नष्ट किया जाता है, जिससे किसानों को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ता है. इसके अलावा, जलस्रोतों की कमी और भूमि की तंगगी की वजह से किसान पहले से ही संघर्ष कर रहे थे. अब सरकार की ओर से इस मुद्दे पर ध्यान दिया गया है और मुआवजा राशि तय की गई है.

7 साल की संघर्ष के बाद सरकार का फैसला

विजय बंसल ने 7 साल तक इस मुद्दे को उठाया. उन्होंने 2013 में वन विभाग के अधिकारियों और जिला अधिकारियों को कानूनी नोटिस भेजे और जंगली जानवरों द्वारा फसलों और मवेशियों को होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए कदम उठाने की मांग की. इसके बाद उन्होंने कृषि मंत्री को भी ज्ञापन भेजे, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई. 2018 में बंसल ने कोर्ट में याचिका दायर की और अंततः 2019 में मुआवजा राशि तय करवाने में सफलता पाई.

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