Excise Duty On Alcohol: शराब की बिक्री भारत के राज्यों के लिए राजस्व का एक महत्वपूर्ण स्रोत है. राज्य सरकारें आबकारी कर के जरिए शराब की बिक्री से भारी मुनाफा कमाती हैं. किसी भी राज्य के कुल राजस्व का 15 से 30 प्रतिशत हिस्सा शराब से आता है. यही कारण है कि कोई भी राज्य शराबबंदी का फैसला लेने से पहले कई बार विचार करता है.
एक्साइज ड्यूटी राज्यों की कमाई का मुख्य जरिया
एल्कोहल पर लगने वाला एक्साइज टैक्स राज्यों के राजस्व का बड़ा हिस्सा बनाता है. 2020-21 के आंकड़ों के मुताबिक सरकार ने एक्साइज ड्यूटी से करीब 1.75 लाख करोड़ रुपये की कमाई की. उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक और गोवा जैसे राज्यों में यह कलेक्शन सबसे ज्यादा है. वित्तीय वर्ष 2022-23 में उत्तर प्रदेश ने अकेले 41,250 करोड़ रुपये की एक्साइज ड्यूटी वसूली.
एक शराब की बोतल पर सरकार कितना कमाती है?
अगर कोई व्यक्ति 1000 रुपये की शराब की बोतल खरीदता है, तो उसमें से 35% से 50% तक टैक्स सरकार के खजाने में जाता है. इसका मतलब है कि 1000 रुपये की बोतल पर 350 से 500 रुपये तक का राजस्व सरकार को मिलता है. यह दरें राज्य दर राज्य अलग हो सकती हैं.
शराब पर और कौन-कौन से टैक्स लगते हैं?
शराब की कीमत सिर्फ एक्साइज ड्यूटी पर निर्भर नहीं करती. इसमें स्पेशल सेस, ट्रांसपोर्ट फीस, लेबल चार्ज और रजिस्ट्रेशन चार्ज जैसे अन्य कर भी शामिल होते हैं. यही कारण है कि एक ही ब्रांड की शराब अलग-अलग राज्यों में अलग कीमत पर मिलती है.
क्यों महंगी होती है शराब?
राज्यों में शराब की कीमतें इसलिए भिन्न होती हैं क्योंकि हर राज्य की आबकारी नीति अलग होती है. कुछ राज्य शराब पर अधिक टैक्स लगाते हैं. जिससे वहां शराब की कीमत ज्यादा होती है. वहीं कम टैक्स वाले राज्यों में वही ब्रांड सस्ती मिलती है.
शराबबंदी और राज्य की अर्थव्यवस्था
शराबबंदी का फैसला लेना किसी भी राज्य के लिए कठिन होता है. शराबबंदी से सरकार का राजस्व घटता है। जिससे विकास कार्यों पर असर पड़ सकता है. यही कारण है कि शराबबंदी जैसे कदम लेने से पहले सरकारें कई बार विचार करती हैं.
शराबबंदी के बावजूद विकल्पों की तलाश
कुछ राज्य शराबबंदी के बाद वैकल्पिक राजस्व स्रोतों की तलाश करते हैं. लेकिन शराब से होने वाली कमाई इतनी बड़ी है कि इसकी भरपाई करना आसान नहीं होता. यही वजह है कि ज्यादातर राज्य शराबबंदी के बजाय इसकी बिक्री को नियंत्रित करने पर जोर देते हैं.
क्या शराब से बढ़ता है राज्य का आर्थिक बोझ?
शराब से राज्य को भारी राजस्व मिलता है, लेकिन इससे जुड़ी सामाजिक और स्वास्थ्य समस्याएं भी बढ़ती हैं. शराबबंदी के समर्थन में यह तर्क दिया जाता है कि इससे स्वास्थ्य पर होने वाले खर्च को कम किया जा सकता है.