Bank License Cancelled: भारतीय रिजर्व बैंक ने 2024 में 11 सहकारी बैंकों का लाइसेंस रद्द कर दिया. यह कदम ग्राहकों की जमा राशि को सुरक्षित रखने और बैंकिंग क्षेत्र में पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से उठाया गया. इन बैंकों की कमजोर वित्तीय स्थिति और नियमों का उल्लंघन इस कड़े निर्णय के (Reserve Bank of India cancels licenses of cooperative banks) प्रमुख कारण रहे.
ग्राहकों की जमा राशि पर संकट
आरबीआई के अनुसार जिन बैंकों के लाइसेंस रद्द किए गए, वे अपने ग्राहकों को जमा राशि लौटाने में सक्षम नहीं थे. इन बैंकों के पास पर्याप्त पूंजी नहीं थी और न ही भविष्य में वित्तीय स्थिति सुधारने की संभावना थी. यह स्थिति ग्राहकों के हितों के लिए खतरा साबित हो सकती थी.
कौन-कौन से बैंक बंद हुए?
2024 में जिन सहकारी बैंकों के लाइसेंस रद्द किए गए. उनमें प्रमुख रूप से शामिल हैं:
- दुर्गा को-ऑपरेटिव अर्बन बैंक लिमिटेड, विजयवाड़ा
- श्री महालक्ष्मी मर्केंटाइल को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, दाभोई
- द हिरीयुर अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, हिरीयुर
- जय प्रकाश नारायण नगरी सहकारी बैंक लिमिटेड, बसमथनगर
- बनारस मर्केंटाइल को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, वाराणसी
ये बैंक अब किसी भी प्रकार का वित्तीय लेनदेन (financial transaction restrictions for cooperative banks) नहीं कर सकते.
जमाकर्ताओं के लिए राहत की प्रक्रिया
लाइसेंस रद्द होने के बाद भी ग्राहकों को घबराने की जरूरत नहीं है. DICGC अधिनियम 1961 के तहत 5 लाख रुपये तक की बीमा राशि प्रदान की जाती है. हालांकि इसके लिए ग्राहकों को बैंक और संबंधित अधिकारियों के साथ समन्वय करना होता है.
आरबीआई के नियमों का उल्लंघन
भारतीय रिजर्व बैंक ने स्पष्ट किया कि ये बैंक 1949 के बैंकिंग नियमन अधिनियम के नियमों का पालन करने में विफल रहे. ग्राहकों की जमा राशि की सुरक्षा के लिए आवश्यक प्रावधानों की अनदेखी की गई थी, जो इस कड़े कदम का आधार बना.
वित्तीय संस्थानों की साख जांचें
इस घटना से ग्राहकों को यह सबक लेना चाहिए कि वे किसी भी वित्तीय संस्थान में निवेश करने से पहले उसकी साख और वित्तीय स्थिति का आकलन करें. यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि जिस बैंक में वे अपने पैसे जमा कर रहे हैं, वह आरबीआई के नियमों का पालन करता है.
बैंकिंग क्षेत्र में पारदर्शिता की आवश्यकता
आरबीआई का यह कदम बैंकिंग क्षेत्र में पारदर्शिता और अनुशासन लाने के लिए महत्वपूर्ण है. इससे अन्य वित्तीय संस्थानों को भी ग्राहकों की सुरक्षा और नियमों का पालन सुनिश्चित करने की प्रेरणा मिलेगी.
आरबीआई की सख्ती का भविष्य पर प्रभाव
आरबीआई का यह निर्णय संकेत देता है कि कमजोर वित्तीय संस्थानों को बैंकिंग क्षेत्र में स्थान नहीं दिया जाएगा. यह कदम ग्राहकों की सुरक्षा और बैंकिंग प्रणाली की मजबूती के लिए एक सकारात्मक संकेत है.