125KM का सफर होगा महज 120 मिनट में, पहले लगते थे 7 घंटे Rishikesh Karnaprayag Rail Line

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Rishikesh Karnaprayag Rail Line: भारत लगातार इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में नए-नए रिकॉर्ड बना रहा है. हाल ही में भारतीय रेलवे ने दुनिया के सबसे ऊंचे रेलवे ब्रिज का उद्घाटन किया था, और अब देश के सबसे लंबे रेलवे टनल के निर्माण को लगभग पूरा कर लिया है. यह रेलवे टनल उत्तराखंड में ऋषिकेश और कर्णप्रयाग के बीच बनाए जा रहे रेलवे ट्रैक पर स्थित होगी. इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य चारधाम यात्रा को और भी आसान और सुविधाजनक बनाना है साथ ही इससे यात्रियों को समय और पैसे की बचत होगी.

ऋषिकेश से कर्णप्रयाग तक रेलवे ट्रैक

भारतीय रेलवे ने उत्तराखंड में ऋषिकेश से कर्णप्रयाग तक की रेलवे लाइन बनाने का काम शुरू किया है. इस प्रोजेक्ट की कुल लंबाई 125.20 किलोमीटर है जिसमें से 105 किलोमीटर का हिस्सा सुरंगों से होकर गुजरेगा. यह देश की सबसे लंबी रेलवे टनल होगी, और इससे यात्रा का समय भी काफी कम हो जाएगा. फिलहाल सड़क मार्ग से ऋषिकेश से कर्णप्रयाग तक यात्रा करने में लगभग 7 घंटे का समय लगता है, जबकि इस रेलवे ट्रैक के जरिए यह सफर केवल 2 घंटे में पूरा किया जा सकेगा.

17 सुरंगों और 35 पुलों से सजेगा रेलवे ट्रैक

भारतीय रेलवे का यह प्रोजेक्ट न केवल लंबाई के मामले में खास है, बल्कि इसकी तकनीकी चुनौतियां भी अद्वितीय हैं. इस रेलवे ट्रैक पर कुल 17 सुरंगें बनाई जाएंगी, जिनमें से 12 सुरंगें ट्रेन यात्रा के लिए प्रयोग में लाई जाएंगी. इसके अलावा, पहाड़ी इलाकों को पार करने के लिए 35 पुलों का निर्माण भी किया जाएगा. यह सुरंगें और पुल रेलवे यात्रा को सुगम बनाने में अहम भूमिका निभाएंगी. सबसे लंबी सुरंग देवप्रयास और लछमोली के बीच बनेगी, जिसकी लंबाई 15.1 किलोमीटर होगी.

हाईटेक तकनीक से होगी सुरंगों का निर्माण

इन सुरंगों के निर्माण में अत्याधुनिक और हाईटेक तकनीकों का उपयोग किया जा रहा है. यह तकनीक न केवल सुरंगों को मजबूत बनाएगी, बल्कि पर्यावरण पर भी न्यूनतम प्रभाव डालेगी. इन सुरंगों को सुरक्षित और सटीक तरीके से बनाने के लिए पर्यावरण संरक्षण के सभी उपायों का ध्यान रखा गया है. इस तरह के प्रोजेक्ट से जहां एक ओर देश की सड़कों और रेलवे नेटवर्क को सुदृढ़ किया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर पर्यावरण को नुकसान से बचाने के लिए जरूरी कदम भी उठाए जा रहे हैं.

213 किलोमीटर तक बनेगा रेलवे ट्रैक और स्टेशन

इस रेलवे प्रोजेक्ट में कुल 213 किलोमीटर तक सुरंगों का निर्माण किया जा रहा है, जिनमें से 176 किलोमीटर का काम पहले ही पूरा हो चुका है. इसके अलावा 11 रेलवे स्टेशन भी बन रहे हैं, जो यात्रा को और भी सुगम बनाएंगे. इन स्टेशनों का निर्माण तेजी से चल रहा है, और यह ट्रेन यात्रा को सुविधाजनक बनाने के साथ-साथ स्थानीय लोगों के लिए भी रोजगार के अवसर उत्पन्न करेगा. इस रेलवे ट्रैक का निर्माण होने के बाद न केवल उत्तराखंड के पर्यटन उद्योग को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि अन्य राज्यों से भी यहां आना-जाना बहुत आसान हो जाएगा.

स्थानीय लोगों को मिलेगा बहुत फायदा

यह रेलवे ट्रैक उत्तराखंड के पांच जिलों के लोगों के लिए एक वरदान साबित होगा. इन जिलों में स्थित लोग अब आसानी से देश के अन्य हिस्सों से जुड़ सकेंगे. सुरंग निर्माण के दौरान सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए मुख्य सुरंग के साथ एक सुरक्षा सुरंग भी बनाई जाएगी, ताकि किसी आपात स्थिति में यात्रियों को सुरक्षित निकाला जा सके. इस सुरंग का निर्माण दो भागों में किया जा रहा है, जिसमें एक सुरंग ट्रेन के लिए और दूसरी सुरंग आपातकालीन स्थिति में निकासी के लिए होगी.

इस प्रोजेक्ट से पर्यटन और रोजगार में बढ़ोतरी

इस रेलवे ट्रैक के तैयार होने के बाद, न केवल चारधाम यात्रा के लिए लोगों को काफी सहूलियत होगी, बल्कि उत्तराखंड के पर्यटन उद्योग को भी एक नई दिशा मिलेगी. इससे राज्य के स्थानीय व्यापार, होटल उद्योग, और परिवहन क्षेत्र में भी वृद्धि होगी. इसके अलावा, इस परियोजना के तहत बनने वाले स्टेशनों और सुरंगों में काम करने के लिए कई स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर मिलेंगे. इससे राज्य की अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी.

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