School News: हिमाचल प्रदेश में अब पांचवीं और आठवीं कक्षा के विद्यार्थी यदि परीक्षा में फेल हो जाते हैं, तो उन्हें अगली कक्षा में प्रमोट नहीं किया जाएगा. यह फैसला प्रदेश सरकार ने लिया है, और यह बदलाव मार्च 2025 से ग्रीष्मकालीन स्कूलों में लागू होगा. शीतकालीन स्कूलों में यह व्यवस्था अगले शैक्षणिक सत्र से लागू की जाएगी. इस निर्णय का मुख्य उद्देश्य शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करना और विद्यार्थियों को अच्छे परिणाम हासिल करने के लिए प्रेरित करना है.
बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 में संशोधन का असर
हिमाचल प्रदेश सरकार ने केंद्र सरकार के संशोधित निशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम, 2009 (Right to Education Act 2009) को प्रदेश में सख्ती से लागू करने का निर्णय लिया है. इस नए संशोधन के तहत, अब परीक्षा पास करने में असफल विद्यार्थियों को अतिरिक्त मौका मिलेगा, लेकिन यदि वे फिर से असफल होते हैं तो उन्हें फेल कर दिया जाएगा. यह बदलाव बच्चों की शिक्षा में गुणवत्ता बनाए रखने और विद्यार्थियों को गंभीरता से पढ़ाई करने के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से किया गया है.
नो डिटेंशन पॉलिसी का अंत
देश में ‘नो डिटेंशन पॉलिसी’ (No Detention Policy) लागू होने के बाद से हिमाचल प्रदेश ने इसका विरोध किया था. 2019 में राज्य सरकार ने बिना परीक्षा पास किए बच्चों को पास करने का निर्णय लिया था, लेकिन इसे प्रभावी रूप से लागू नहीं किया गया. अब, कांग्रेस सरकार ने इस नीति को समाप्त करने का फैसला किया है, ताकि बच्चों की शिक्षा का स्तर ऊंचा रखा जा सके और शिक्षा में सुधार लाया जा सके.
उत्तर पुस्तिकाओं की जांच ब्लॉक और क्लस्टर स्तर पर होगी
चालू शैक्षणिक सत्र से, पांचवीं और आठवीं कक्षा के विद्यार्थियों की उत्तर पुस्तिकाओं की जांच अब ब्लॉक और क्लस्टर स्तर पर की जाएगी. पहले तक, इन कक्षाओं के लिए प्रश्नपत्र तो स्कूल शिक्षा बोर्ड द्वारा जारी किए जाते थे, लेकिन उत्तर पुस्तिकाओं की जांच आसपास के स्कूलों में की जाती थी. अब इस प्रक्रिया को और सख्त किया जाएगा, जिससे उत्तर पुस्तिकाओं की जांच अधिक पारदर्शी और निष्पक्ष हो सके.
यह कदम शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए है
हिमाचल प्रदेश सरकार का यह कदम प्रदेश में शिक्षा के स्तर को सुधारने और उसे और अधिक गुणवत्तापूर्ण बनाने के लिए है. इस नीति के लागू होने से, विद्यार्थियों को अपनी पढ़ाई में गंभीरता से ध्यान केंद्रित करने का अवसर मिलेगा. इससे शिक्षा का स्तर भी बढ़ेगा और बच्चों को भविष्य में बेहतर अवसर मिलेंगे.