ट्रेन तो ऑटोमैटिक चलती है फिर लोको पायलट का क्या है काम ? जाने कितनी मिलती है सैलरी Loco Pilot

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Loco Pilot: भारतीय रेलवे हर दिन लाखों यात्रियों को सफर की सुविधा मिलती है. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ट्रेन में स्टीयरिंग नहीं होता फिर भी लोको पायलट क्यों मौजूद होते हैं? यह जानना जरूरी है कि ट्रेन की गति और सुरक्षा सुनिश्चित करने में लोको पायलट की भूमिका अत्यधिक महत्वपूर्ण है.

ट्रेन को अपनी मर्जी से क्यों नहीं चला सकता लोको पायलट?

ट्रेन का संचालन पूरी तरह से एक सुव्यवस्थित प्रणाली पर आधारित होता है. लोको पायलट ट्रेन को अपनी मर्जी से न चला सकता है और न ही रोक सकता है. इसका निर्णय रेलवे बोर्ड के हेड क्वार्टर (Railway Board Headquarter) से होता है. ट्रेन को किस स्टेशन पर रोकना है या किस प्लेटफॉर्म पर लाना है, यह पहले से निर्धारित किया जाता है.

पटरियों को बदलने का काम कौन करता है?

लोको पायलट के सहयोग के लिए रेलवे अलग से कर्मचारियों की नियुक्ति करता है जिन्हें पॉइंट्समैन (Pointsman Role in Railways) कहा जाता है. पॉइंट्समैन स्टेशन मास्टर के निर्देशानुसार पटरियों को जोड़ते और बदलते हैं. इससे यह सुनिश्चित होता है कि ट्रेन सही दिशा में और सुरक्षित तरीके से यात्रा कर सके.

लोको पायलट का मुख्य काम क्या है?

लोको पायलट का मुख्य कार्य सिग्नल देखकर ट्रेन की गति को नियंत्रित करना है. उनके पास भले ही स्टीयरिंग नहीं होता, लेकिन वे ट्रेन के गियर बदलने (Gear Shifting in Train) का काम करते हैं. लोको पायलट को पटरी के किनारे लगे साइन बोर्ड पर दिए गए संकेतों के अनुसार हॉर्न बजाना और गति कम या ज्यादा करनी होती है.

आपात स्थिति में लोको पायलट की भूमिका

इमरजेंसी स्थिति में लोको पायलट का काम और भी महत्वपूर्ण हो जाता है. यदि किसी तकनीकी कारण से वरिष्ठ अधिकारी संपर्क में न आ सकें, तो लोको पायलट ट्रेन के सबसे पीछे मौजूद गार्ड (Communication with Train Guard) के साथ संवाद करके उचित निर्णय लेते हैं.

ट्रेन की सुरक्षा में लोको पायलट की अहमियत

लोको पायलट की जिम्मेदारी सिर्फ ट्रेन चलाना नहीं है, बल्कि यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करना भी है. वे यह सुनिश्चित करते हैं कि सिग्नल पर ट्रेन ठीक से रुके, सही गति बनाए रखे, और तय समय पर गंतव्य तक पहुंचे.

लोको पायलट कैसे तय करते हैं स्पीड?

  1. सिग्नल और साइन बोर्ड का अनुसरण: लोको पायलट सिग्नल और साइन बोर्ड के निर्देशों के आधार पर ट्रेन की गति को नियंत्रित करते हैं.
  2. ट्रैक की स्थिति का ध्यान रखना: यदि पटरी पर किसी प्रकार का काम चल रहा हो, तो लोको पायलट ट्रेन की गति को धीमा कर देते हैं.
  3. विशेष मार्गों पर सतर्कता: पुल, स्टेशन या अन्य संवेदनशील स्थानों पर लोको पायलट अतिरिक्त सतर्कता बरतते हैं.

ट्रेन के गार्ड और लोको पायलट का तालमेल

ट्रेन संचालन के दौरान लोको पायलट और गार्ड के बीच तालमेल अत्यधिक महत्वपूर्ण होता है. दोनों के बीच संवाद के लिए रेडियो कम्युनिकेशन (Radio Communication in Trains) का उपयोग किया जाता है. यह प्रणाली सुनिश्चित करती है कि किसी भी आपात स्थिति में ट्रेन को सुरक्षित रूप से रोका जा सके.

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