Farmer News: हरियाणा सरकार ने किसानों के लिए एक बड़ा कदम उठाते हुए कृषि भूमि पट्टा कानून को मंजूरी दी है. यह फैसला पट्टेदार किसानों को बैंकों से ऋण लेने और प्राकृतिक आपदा की स्थिति में मुआवजा प्राप्त करने का अधिकार देगा. इस नए कानून से किसानों को आर्थिक स्थिरता मिलेगी और उनकी सरकारी योजनाओं तक पहुंच सुनिश्चित होगी.
राज्यपाल की मंजूरी से बना नया कृषि भूमि पट्टा कानून
हरियाणा विधानसभा के शीतकालीन सत्र में पारित कृषि भूमि पट्टा कानून को राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने मंजूरी दी है. विधि एवं विधायी विभाग की प्रशासनिक सचिव रितु गर्ग ने इसकी पुष्टि की है. अब पट्टेदार और भू-मालिक के बीच विवाद कम करने के लिए गिरदावरी (Land Record System) में ‘पट्टेदार’ नाम से एक अलग कॉलम जोड़ा जाएगा.
पट्टेदारों को प्राकृतिक आपदा में मिलेगा मुआवजा
नए कानून के तहत ठेके पर ली गई जमीन पर लगी फसल अगर आंधी, ओलावृष्टि या अन्य प्राकृतिक आपदा से नष्ट हो जाती है तो मुआवजा जमीन मालिक की जगह पट्टेदार को मिलेगा. यह व्यवस्था पट्टेदार किसानों को अधिक सुरक्षित और आत्मनिर्भर बनाएगी. साथ ही इस कदम से कृषि बीमा कंपनियों (Agricultural Insurance Companies) और राज्य सरकार के बीच पारदर्शिता बढ़ेगी.
भू-मालिकों और पट्टेदारों के बीच विवाद होगा समाप्त
कानून में यह प्रावधान किया गया है कि पट्टेदार और भू-मालिक के बीच समझौता तहसीलदार (Revenue Officer) के सामने होगा. दोनों पक्षों को इस प्रक्रिया के लिए कोई शुल्क नहीं देना होगा. विवादों को सुलझाने के लिए अब कोर्ट का सहारा नहीं लेना पड़ेगा, क्योंकि इसे स्थानीय स्तर पर ही सुलझाया जा सकेगा.
पट्टेदार किसान को मिलेगा स्पष्ट पहचान कॉलम
गिरदावरी में ‘पट्टेदार’ नामक अलग कॉलम जोड़ने से पट्टेदार किसान को भू-मालिक के रूप में नहीं दिखाया जाएगा. इससे भविष्य में विवाद या भ्रम की स्थिति नहीं बनेगी. इस प्रक्रिया से पट्टेदार किसानों को कानूनी रूप से मान्यता मिलेगी और उनकी स्थिति मजबूत होगी.
कानून की आवश्यकता क्यों पड़ी?
हरियाणा के छोटे किसान अपनी जमीन ठेके पर देते हैं, लेकिन लिखित समझौते की कमी के कारण पट्टेदार किसानों को फसल ऋण और मुआवजा नहीं मिल पाता. भू-मालिक अक्सर पट्टेदार बदल देते हैं या जमीन को बंजर छोड़ देते हैं ताकि विवाद से बचा जा सके. यह नया कानून इन समस्याओं को हल करेगा और पट्टेदार किसानों को अधिकार दिलाएगा.
किसानों के जीवन में सकारात्मक बदलाव की उम्मीद
यह नीति किसानों को मुख्यधारा की सरकारी योजनाओं (Government Schemes for Farmers) से जोड़ने में सहायक होगी. बैंकों से ऋण मिलने और बीमा कंपनियों से मुआवजा प्राप्त करने के अधिकार से किसानों की वित्तीय समस्याएं कम होंगी. इसके अलावा, यह कानून राज्य के कृषि क्षेत्र को मजबूत करेगा और किसानों के जीवन स्तर को ऊंचा उठाएगा.
सहज और पारदर्शी प्रक्रिया की शुरुआत
नए कानून के तहत, भू-मालिकों और पट्टेदारों के बीच समझौते को सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज किया जाएगा. इससे दोनों पक्षों के बीच विश्वास बढ़ेगा और विवाद की गुंजाइश कम होगी. इस प्रक्रिया में भू-मालिक और पट्टेदार को किसी प्रकार का आर्थिक बोझ नहीं उठाना पड़ेगा.
नए कानून से संभावित लाभ
- पट्टेदार किसानों को बैंकों से ऋण की सुविधा.
- प्राकृतिक आपदा में मुआवजा पाने का अधिकार.
- भू-मालिकों और पट्टेदारों के बीच विवाद की समाप्ति.
- कृषि क्षेत्र में पारदर्शिता और स्थिरता.
- पट्टेदार किसानों की सरकारी योजनाओं तक आसान पहुंच.